Friday, September 23, 2016

घड़ी देख देख कर आज जय का समय नहीं कट रहा था। आज गर्मियों की छुट्टी का आखिरी दिन था कल से फिर वही स्कूल के चक्कर लगाने थे इस चीज़ का दुःख नहीं था दुःख था तो इस चीज़ का की आज सामने घर आई हुई प्रियंका आज अपने घर जा रही थी ,,,,प्रियंका जो हर गर्मियों की छुट्टियों में अपनी नानी के घर आती थी ,,,प्रियंका हर साल जय को दिखती थी पर इन छुट्टियों में जय को बहुत अलग एहसास हुआ था जब भी वो अपने छज्जे पर आती थी पर उसने कभी जय को देखा नहीं था ,,,हमेशा लड़कियों के  साथ रहती थी जय ने कई बार चाहा की वो कुछ तो बात करे पर हर बार प्रियंका भाव खाकर चली जाती ,,,,,
नौ बज गया था आज तो वो कसरत करने भी नहीं आई पर माँ ज़रूर आ गई ,,,
माँ : जय जाकर ज़रा मट्ठे के दो पैकेट ले आ तेरे पापा को देर हो रही ,
जय : माँ पापा से बोल दो आज दफ्तर में ही नाश्ता करलें।,,, मैं कहीं नहीं जा रहा।
माँ:थप्पड़ खाएगा चल जा सीधे सीधे ,,,
जय:हमेशा माँ मुझे ही झेलना पड़ता है लाओ पैसे दो दूकान वाला  मामा नहीं लगता ,,,,

गुस्से में जय घर से निकला ,,,बड़बड़ाता हुआ जैसे ही सड़क पर करते ही उसने देखा प्रियंका हाथ में थैला लिए दूकान की तरफ जा रही थी ,,,उसको देखते ही जय की रफ़्तार बाद गई सांसें तेज़ और नज़रें सिर्फ प्रियंका पर थी ,,,आज तो बोल ही देगा सोचते सोचते जय पास पहुँच गया ,,,प्रियंका ने जय को देखकर मुस्कराई ,,इन सब में जय का दिल फिसल रहा था बस और उसकी मुस्कान ने उसे घायल और कर दिया था ,,,,,जय की आवाज़ नहीं  निकल रही थी तब तक प्रियंका बोली
प्रियंका :कल से तो स्कूल होगा ?
जय :हां पर क्या फायदा ,,,
प्रियंका : क्यूँ ?
जय: इसी वजह से ही तो तू जा रही ,,,
प्रियंका : हाँ तो ?


जय शांति से प्रियंका को देख रहा था प्रियंका को समझ आ तो गया था पर भाव खाकर बाल झटक क्र चली गई ,,
जय ये सब देखता रहा ,,,अब जय से रहा नहीं जा रहा था ,,उसने मन बना लिए था की आज वो प्रियंका को अपने दिल की बात बता देगा ,,,,दौड़ता हुआ घर गया सामान घर पर रखा और तैयार हो गया कुछ तोहफा लेकर जाने वाला था ,,,,अब था तो लड़का ही दूकान में खड़ा हुआ तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की क्या पसंद है प्रियंका की कुछ भी तो नहीं पता था उसके लिए प्रियंका तो अजनबी थी की तभी दूकान में कोई चिल्लाया
दूकानदार : दो समोसे ले आना ,,,,,

समोसे अरे हाँ प्रियंका को चौबे के समोसे बहुत पसंद हैं यही सही रहेगा ,,,दूकान पहुंचा आठ समोसे लिए और उसमे एक खत रखा और चल दिया प्रियंका के घर की तरफ ,,,रास्ते भर उसकी और उसके दिमाग की लड़ाई होती रही की ये सही है या गलत ,,,पर आज दिल बहुत ही  से हावी था ,,जीत गया कम्भक्त ,,,जय प्रियंका के दरवाज़े के सामने खड़े खड़े सोच  की अगर नानी ने दरवजा खोल तो कोई बहन बना देगा पर तभी दरवाज़ा खुला और पैइयाँक उसको देखकर चौंक गई


प्रियंका: क्या हुआ जय कुछ काम था ,,,
जय कुछ भी बोल नहीं पाया उसका पहला प्यार उससे कुछ पूछ रही थी पर वो घबरा गया और समोसे वाला पैकेट उसे थमाया और ज़ोर  की तरफ भाग गया ,,,प्रियंका ने टैकल खोला तो समोसे थे ,,,प्रियंका बहुत खुश हो गई आज सुबह ही नानी से बोल ही रही थी नानी खिला दो फिर तो अगले साल ही खा पाएगी वो ,,,,,
अंदर देखा तो एक खत था ,,,



प्रियंका मैं तुमसे ये बोलना चाहता हूँ की मैं तुम्हे हर सुबह देखता था और हर दिन तुमसे प्यार  बढ़ता ही जा रहा है,,,आज तू चली जाएगी अब शायद हम एक साल बाद ही मिल पाएंगे पर मैं  चाहता हूँ की एक दिन तुम मेरे साथ रहो मैं तुम्हे जानना चाहता हूँ ,,,मैं चाहता हूँ की जब तक तुम  आओ अगले साल मैं तुम्हरा किसी उम्मीद में इंतज़ार कर  सकूँ ,,,और अपने बारे में बताना चाहता चाहता हूँ ,,तुम बस एक दिन अपन मुझे दे दो ,,,मैं उम्मीद करूँगा की तू ज़रूर कुछ जवाब देगी ,,,मैं  इंतज़ार करूँगा ,,,

आज दूसरा दिन था पर प्रियंका ने कोई जवाब नहीं दिया था ,,जय ने ना मान ली थी ,,और हारने  के बाद जैसे चेहरा उतर जाता  है आज था ,,,छज्जे पर बैठा रहा ग्यारह बज गया आज बहना  बना दिया की तबियत खराब है जय स्कूल भी नहीं  गया ,,,
माँ:पुरे दिन यहीं बैठा रहेगा की कुछ करेगा जा मुँह  भी उतार रखा  है जा दूकान से मंजन ले आ।
 
बिना कुछ बोले जय ने थैला लिया और चला गया ,,,सड़क पर  था आज भी वही थैला देखा उसे लगा प्रियंका है पर ऊपर देखा तो उसकी नानी दूकान पर  थी ,,ये देख कर तो जैसे जय के आंसूं  ही आ गए ,,,नीचे नज़रे किए दूकान पर सामान लेने लगा ,,,
नानी:और जय बेटा कैसे हो ,,
जय :(दुखी मन से ) अच्छा हूँ ,,,,
नानी :बेटा  एक काम करदेगा मुझे काम से जाना है अपनी बेहेन के यहाँ और यहाँ प्रियंका के पेट में दर्द हो गया है आज उसे जाना था पर रुक गई जाकर उसे ये दवा दे आ और हाँ ये थैला भी पकड़ा देना ,,,

इस वाक्य ने जय के होश उड़ा दिए थे ,,,जय को पता चल गया था की प्रियंका ने बहाना मारा है ,,,ख़ुशी के मारे जय का बुरा हाल था दौड़ते हुए गया ,,,


जैसे ही प्रियंका ने दरवाज़ा खोला जय ने उसे कसकर गले से लगा लिया ,,

जय: प्रियंका मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।


समाप्त।


Wednesday, September 14, 2016

                                                                            हम 


नैनों के इशारे ही दिखाई देते हैं,,,,
दिलों पर दस्तक ही सुनाई देते हैं,,,,
प्यार हसीं तो बहुत  होता है मगर ,,
हमारे किए गए फैसले ही हमे जुदाई देते हैं।

रूह की सच्चाई को किसने छुआ है ,,,
सच्चा प्यार किसको हुआ है,,,,,
अपने लिए ही करते हैं जो हमेशा ,,,
मिलती कहाँ  है उन्हें जन्नत ,,
 उनके लिए तो बस  वो एक दुआ है।

भीगा गई जो बारिश वो याद है ,,,
तेरी मुस्कराहट ही  फरियाद है ,,,
गिला क्यूँ करते लोग एक दूसरे से ,,,
जब इस दुनिया में हर रूह आज़ाद है।


आशिक़ को उसकी मोहब्बत मिलती है तो उसे है सुकून होता है ,,,
हर पहले प्यार करने वाले के रगों में जूनून होता है ,,,,,
बढ़ा चढ़ा कर बोल ले लोग इस समाज के  कितना ही  ,,,
अगर उसके घर में कोई प्यार करने वाला हो तो उसका सिर्फ खून होता है।




Saturday, September 10, 2016


                                                                        TUM

Barish to hai par kuch naya hai...
lagta hai koi mujhe mil gya hai...
ab  kuch to wapis mil rha hai...
Kuch to hai jo ab khil rha hai....
Toot gae the jo dhaage kahin par ...
unhe ab koi to hai jo sil rha hai...


Barish to hai par kuch naya hai...
lagta hai koi mujhe mil gya hai...
Nanv ko wapis kinara to mila hai...
naa jane kyu mujhe ab pata chala hai..
Bahut pyar se jisne mujhe thame rkha hai...
Uska pta aankh kholne k baad pata chala hai...
rooth gae the jo mausam humse ...
ab jakar unhe mera pata mila hai...

Darr ab kum lgta hai mujko...
meri har baat ka pata hai tujhko..
In aadaton ke jaan jane ke ....
baad bhi farak padata hai kisko...
Tere har dastak ki aahat sunai de rhi hai...
ye hawa tere hone ki badhai de rhi hai


Pata hai mujhe ki tu naya hai ..
aur tu hi to hai jo mjhe mil gaya hai....