Monday, April 24, 2017



                सबसे बड़ी ताकत



टूटी छत  के टपकते पानी से अपने लाल को बचाया है
ठण्ड न लग जाए कहीं उसे तो खुद को भिगाया है
डूब रही हो कितनी  ख्वाइशें  लाल की
 हर बार  हाथ लगा कर उसने डूबने से बचाया है
 मुड़ कर  देखो जिस भी पल की ओर
उस लाल  की माँ ने हमेशा गले से ही लगाया है

हस्ते खेलते वो साथ  बड़े होते हैं
कुछ  खट्टे  मीठे पल उनके  साथ बुनते हैं
दिल में प्यार से भी ज़्यादा जगह बनाती हैं
कोई भी  रिश्ता  नहीं जीतता जब दो बहनें साथ निभाती हैं


परीवार को उसने बनाया है
जीना सिर्फ उसने ही सिखाया है
कंधे पर रखकर हमको उसने
दुनिया  का रंग दिखाया है
हाथ में उसके छाले थे और घर पर अनाज के लाले थे
पर तोड़ कर अपनी रोटी  का टुकड़ा हर बार हमको खिलाया है
आँख में उसके आंसूं हैं पर हमको वो मालूम नहीं क्यूंकि
उसने हमारे हर सपने को अपनी आंखों  सजाया है
चाहे कितने ही हो दुश्मन दुनिया में मगर सबसे
ताक़तवर भगवान ने पिता को बनाया है




Sunday, April 16, 2017

                     खुद की ताक़त


छोड़ दिआ है खुदको की जा उड़
बोल दिआ रस्ते से की अब कहीं भी तू मुड़
खोल के नज़रें ऊपर दिशा  की तरफ हैं लगाई
की जो दृश्य है खुले आसमान का उनसे मेरी उमीदें रहीं है जुड़

बिछा के अरमानों की चादर मैंने उम्मीद में बढ़ना सीखा है
लाख हो ऊँचा पहाड़ उसपर चढ़ना सीखा है
टूट तो रहे थे सारे किले मेरे सपनो के मगर
उसी रेत के किले को फिर से खड़ा करना सीखा है

हाथों में बनी लकीर को पढ़ने से कुछ हासिल नहीं होता
बनी बनाई  दुनिया की रीतों में रहने से कुछ नहीं होता
जो रेस में जीतते है वो तो बस महज़ दुनिया के सामने होते हैं पर
पर जो रोज़ गिर कर चलतें हैं उनसे ज़्यादा कोई काबिल नहीं होता

सामना करते करते लड़ने लगता है हर कोई
अपनी हार देखकर खुद से झगड़ने लगता है हर कोई
डर होता ही इसलिए है हमारे लिए
की सामना होते ही टूटी डोर पकड़ने लगता है हर कोई