Friday, July 14, 2017

               Life is simple


Life is confusing becoz it have always got two options for everything ; consider it the way of choosing your life with living someone and without someone you can trip in both ways ,consider it choosing a professional future ;  again you got two choices, either live with the thought of being something valuable or just be the
"valuable ",again consider it happiness or pain there is again two choices therE is no in between of being less in pain or hapPiness
Pain is a pain and happiness is what it looks like , so giving a thought that you might not take a decision and how would you live in future , don't just only talk to your mind , talk to your core what your core is deciding for you coz in any situation you can live  with life, it  always have its own ways;  fear nothing  in this entire life ,people does several  work to convince them that they would have done a lot better but if that would have happen this situation you are on would have been not discovered by you , people out there reading this should really understand this that the work you do , name it work , party,  poetry , sports , shopping even romance you are the only one who chose this to be so live with the ultimate truth that life don't surprise.  You its you And your decisions who plays role so admire yourself and start loving everything about you because  each day you should remember that you wanted to for the old days
Life is simple admire it

Tuesday, July 4, 2017

                     अकड़ और  चतुराई
       


सात बजे की गाडी आज नौ बजे  करीब स्टेशन के दूर कोने से चली आ  रही थी लोग अपना अपना बक्सा  जो भी उनके पास था लिए दौड़ रहे थे पर इधर कन्हईया अपना सुबह का अखबार और चाय लिये राज काज समझ  रहा था की तभी पिताजी की फटकार ने सब मज़ा खराब कर दिया
पिताजी : कन्हैय्या तू जाता है मैं अपाहिज जाऊँ पैसे के लिए गाडी के अंदर पूरी सब्ज़ी बेचने
 कन्हैया : पिताजी आप क्यूँ गुस्सा करते हैं मैं ही जाता हूँ।
कन्हैया के पिताजी  युहीं स्टेशन में काम करते अपने पाऊं खो चुके अब कन्हैया १३  साल के होने के बाद भी ये काम करता है कन्हैया एक बहुत ही सुन्दर और मेहनती बच्चा है इस उम्र में अपने साथ साथ पिताजी को भी रोटी देता है

कन्हैया अपने सामान के साथ चल दिआ गाडी की और उसके लिए हर गाड़ी का रंग रूप सब एक जैसा था उसे न ही मतलब होता था की कौन सी गाडी कौन सा वक़्त  है बस घुस जाता था अपने सामान को बेचने की तभी उसके कानों में किसी की आवाज़ पड़ी की भोपाल के सबसे बड़े आदमी की सबसे मेहेंगा हीरा चोरी हुआ है ये सब सुनकर उसके  मन में बहुत से सवाल आने लगे पर रुकती गाडी  सब हटा दिए कन्हैया दौड़ते हुए गाडी में घुस गया आज बहुत भीड़ के कारन उसकी बिक्री बहुत हुई पर बोलते हैं न खुशियां ज़्यादा देर  मेहमान नहीं होती दरवाज़े से उतर ही  चार पांच लड़कों की भीड़ चढ़ी और कन्हैया को धक्का दिए और गाडी के अंदर आ गए
गुस्से में  कन्हैया लड़ पड़ा और बच्चा समझ उन्होंने उसे उठाया और ऊपर वाली जगह पर बैठा दिया कन्हैया  वाला था
ढीट बनकर वही बैठा रहा उसका लड़कपन देख कर लड़कों ने बात को गंभीर और बेइज़्ज़िति के रूप में लिया।
कन्हैया निडर होकर वही बैठा रहा
गाडी में कई लोग  थे जो ये सब देखकर खुश नहीं थे पर शायद वो और लड़के सब रोजाना साथ सफर करते थे सुर वो उन लड़कों से डरते भी थे
इन सब लोगों को देखकर कन्हैया की  उम्मीद भी नहीं लगा रहा था उसे एक आदमी दिखा जो बैठा तो वही था पर वहाँ ये सब देख रहा था ये ज़रा  कन्हैया के समझ के बहार था देखने में गोरा हाथ में कड़ा आँखों में चश्मा टोपी वगेरा सब था पर वो इधर होते हुए क्यों नहीं देख रहा अब कन्हैया को इन लड़कों से ज़्यादा उस आदमी में ध्यान लगा हुआ था की तभी एक  थप्पड़ ने सारे तारे हिला दिए थे गुस्सा चरम पर पहुंच गया उसका मुँह लाल होते देख लड़कों ने उसे उठाया और गाडी से बहार  कूदा दिआ
 आज दिन में इतना बुरा हुआ की अपने पिताजी को भी नहीं बताया कन्हैया नहीं तो खुद तकलीफ झेलने चले जाते पर कन्हैया को बचाएंगे इन सब से। ...... कन्हैया का गुस्सा शांत होने का नाम ही न ले पर आज उस गुस्से से ज़्यादा
उसके दिमाग में उस आदमी प्रति सवाल थे
कन्हैया खुद से : हो सकता है बहरा हो या अंधा पर उसने उसके कानों की हरकत देखि थी वो बहरा तो नहीं था अगर वो सिर्फ बहरा होता तो इधर उधर ज़रूर करता की क्या हो रहा है या कुछ

अगले दिन की सुबह कन्हैया के लिए बदला लेनी की थी पर उसने खुद को समय दिआ और खुद को ये विश्वास दिलाया की पहले उसके बारे में जानूंगा तभी बदला लूंगा और बदला तो कभी भी लेलूं
आज भी उसी डब्बे में  चढ़ा जिसमे कल था आज भी वही लड़के मिले और खेलते रहे कूदते रहे पर कन्हैया की नज़र सिर्फ
उस आदमी पर थी आज तो और यकीन हो गया जब कन्हैया ने उसे बार बार सपने बास्ते को खाकोलते देखा कल तक जो  बोल सुन नहीं पा रहा था आज वो बस्ता  देख रहा ये सब सही से पता चल था था की किसीने पीछे से पूरी उठाली उसमे झगड़ा जो गया लड़कों ने कन्हैया को बहुत पीट दिआ और बाहर धक्का दिए की कल से यहां दिख मत जाना वरना मार देंगे रोता रोता कन्हैया जाकर बिस्तर पर सो गया
आज सुबह से ही गुस्सा लिए कन्हैया स्टेशन पहुंचा आज कुछ  करके उन्हें समझाना था पर उसे कुछ  समझ ही नहीं आ रहा था गाडी आज फिर थोड़ी देर से आई कन्हैया लाल मुँह लेकर आज फिर हार सामना करने के लिए खुदको शांत कर लिआ घुसते ही उसे वो लड़के दिखने लगे तभी उसे दो पोलिसवाले वहीँ दिखाई दिए उन दोनों अफसरों को देखकर कन्हैया के दिमाग में एक ऐसी बात आई जिसने उसे फिर से शक्ति धारक बना दिआ
पूरी पूरी चिल्लाते हुए वो आगे बढ़ा की उसने लड़कों  को पासजसकर जानबूझकर उनके पैरों में चढ़ने लगा गुस्से में लड़कों ने उसे फिर ऊपर बैठा दिआ ये देखकर पोलिसवाले वहाँ आ गए बेहेस करते देख लड़के घबरा गए पर कन्हैया का शिकार तो कोई और ही था पुलिसवालों को कन्हैया ने इशारा किआ की मुझे लगता ही जो भी चोरी भोपाल में हुई  बड़ी उसके पीछे उस अंधे लड़के का है जो की सिर्फ यहां पर नाटक कर रहा और वो ये बात साबित  कर सकता है
उसके कहने पर तलाशी होने लगी आदमी जो अभी तक बोल नहीं रहा था अब वो चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा पोलिसवाले जैसे ही उसने तलाशी ली उस आदमी के पास हीरा और बी बरामदी सामान मिला।
गाडी रुकवा कर उसे ले जाया जा रहा था की कन्हैया के दिमाग में बदले की आग जाली और उसने पुलिसवालो को बोल दिआ की ये अकेला नहीं हैं कुछ लड़के भी जो इसको मदद करते हैं , पर नहीं पता था की उन लड़किन के पास भी चोरी का सामान था  ये सब तलाशी के बाद उन लड़कों को चखाया  उसे ये भी नहीं पता था की उन सारे लड़कों को चोरी चाकरी  ही काम  और धाम है
कन्हैया ने एक तीर से दो निशाने करते हुए  फसा दिए
शहर के बड़े से आदमी ने जिसने इतना कीमती हिरा मिला हो उसने लाल चौक पर कन्हैया के लिए दूकान खोली जहाँ अब कन्हिया कुर्सी  पर बैठकर सिर्फ आवाज़ लगता है और सारा काम खुद संभालता है