Monday, August 8, 2016


                                              ठाकुर जी का शिष्य 




दिन बारह अप्रैल सन २००१ ,,,
आज सुबह सुबह उसकी आवाज़ पहली बार मझे  पुकार  रही थी। अक्सर ये आवज़ मेरे बाबूजी के लिए होती थी।
नींद में कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था पर हाँ कुछ जानी पहचानी सी कोई अपने की आवाज़ थी ,,,बहुत गुस्से में उठी और दरवाज़े पर खड़ी  हुई तो देखा की सजल  बाहर  खड़ा था जो की मेरे बाबूजी का सबसे बेहतरीन तैयार किया हुआ खिलाडी था ,,,घडी पर देखा तो पूरे पांच बज रहे हैं,, अरे ये यहाँ क्या कर रहा है इस समय तो इसे खेत में होना चाहिए था बाबु जी तो जा चुके हैं खेत की तरफ ,,,इन सब ख्यालों के पुल पर चल ही  रही थी की फिर से एक आवाज़ आई ,,
सजल ; क्या हुआ नींद ख़राब करदी क्या मैंने ? वो मैं  तो आपको कभी परेशां न करूँ वो ज़रा ठाकुर साहब ने मुग्दल  मंगवाया हैं। ...
कुसुम ; नहीं जी मैं  कोई देर से सोने वाली बिगड़ी लड़कियों में से थोड़ी हूँ। मैं तो अपने बाबूजी  के साथ उठ जाती हूँ आपको क्या लगता है मेरे बाबूजी मेरे हाथ की चाय पिए  बिना ही चले जाते होंगे ,,,,

झूठ तो जैसे कुसुम के चहरे से टपक रहा था , और सजल को सब समझ आ   रहा था  ,,,अगले ही कुछ लफ़्ज़ों ने कुसुम के जहान  को बदल दिया और शुरुवात हुई उसकी  नई ज़िन्दगी की ,,,, सजल बहुत ही नम्र लफ़्ज़ों में बोला की
"मुझे पता है आप सबका बहुत ख्याल रखती हैं और ठाकुर जी के संस्कार ही  हैं जिस भी घर में आप जाएंगी वो घर बहुत खुसनसीब होगा "
 और बहुत धीमे आवाज़ में बोला की
"काश की मैं वो सुख पा पाऊ "
सजल को लगा की ये आखरी की बात सुन नहीं पाईं मगर इस बात ने सब कुछ बदल दिया था ,,,अभी तक तो सिर्फ  उसकी पसंद था सजल पर अब तो जैसे सब कुछ होने लगा था ,,,सजल तो चला गया पर आज दिन कुछ अलग ही था ,,,मुस्कराते हुए काम तो ऐसे कर रही थी जैसे की सही में बड़ी कामक़ाज़ी हो।

बाबूजी;आज क्या बनाया है

कुसुम ; बाबूजी आज मैंने आपकी सबसे पसंद की सब्ज़ी लौकी के कोफ्ते बनाए  हैं

बाबूजी : अरे वाह क्या  बात है एक काम कर  सजल को फ़ोन करदे वो भी खाले  आकर ,,उसे भी  बहुत पसंद है

कुसुम मन में मुस्करा रही थी क्यूंकि उस्की रचाई हुई साजिश काम कर रही थी ,,उसे  पता था की सजल को भी ये सब्ज़ी बहुत पसंद  थी ,,सजल आ गया ,,आज दोनों बदले बदले  से थे ,,नज़रें आज मिल रही थी तो अलग भाव था। मगर सजल जानता  था की वो  उससे कभी नहीं बोल पाएगा क्यूंकि वो उसके गुरु की लड़की थी और वो नहीं चाहता था की   गुरु शिष्य का रिश्ता खराब न हो ,,,पर कुसुम तो  खो गई थी और अब वो दिन रात यही सोचती कैसे उसका दीदार हो जाए ,,
रोज़ सुबह शाम खेत किसी न किसी बहाने से चली जाती ठाकुर  खुश हो जाते की बेटी का  काम में मन लगने लगा है ,,ठाकुर जी सजल को बहुत प्यार करते थे   उसके ज़रिए एक सपना  देखते थे ,,,बात ये है की ठाकुर जी का एक लड़का था  जो बहुत ही कम उम्र में  उसका देहांत हो गया था और उनके परिवार में भारत के लिए खून बहाने के लिए हर पीढ़ी  से कोई न कोई  जाता था पर अब ये मुमकिन नहीं था तो वो सजल को तयार क़र रहे थे ,,,,और सजल  बहुत ही बड़िया शिष्य था पुरे रात दिन मेहनत करता ताकि ठाकुर जी का सपना पूरा हो जाए और उसे  कुसुम मिल जाए ,,,

दिन १६ जुलाई सं २००२
आज अख़बार में सजल  का चित्र था और बड़े बड़े शब्दों  लिखा  था ,,"शिष्य ने किआ गुरु का सपना पूरा "
आज सजल को भारतीय  की सेना में दाखिल कर लिए गया था। ठाकुर जी तो जैसे फूले नहीं समा रहे थे गांव भर को न्योता दे दिया था ,,,आज तो बस ये  मानलो की ठाकुर जी से कुछ मंगलो वो कभी मना  नही करेंगे ,,शाम हो चुकी थी,,, सजल नहीं आया सब उसका इंतज़ार  कर  रहे थे ,,आई थी   तो उसकी खबर ,,,एक  पुलिस वाला आया जिसके हाथ में कुछ लिफाफा था ,,सबको लगा न्योते में इन्हें भी बुलाया गया है.पर ये  कुछ और ही काम से आए थे ,,

ठाकुरजी; क्या बात है भाईसाहब आप यहाँ

पुलिस ;जी ये लिफाफा देखिये और बताइये क्या ये सामान आपके किसी के जानपहचान का है।

 ..अब  खुशियों का माहौल गर्म हो गया था  वो आपस में बात कर रहा था की कौन हो सकता है किसका सामान हैं पता लगाने पर उसने बताया की कुछ लड़के पास के गांव में गुंडागर्दी कर रहे थे तो ये नवजवान लड़का भिड़ गया और उन्हने इसे बेहरहमी से मारडाला ,,आप लोग ज़रा  देखलिजिए की ये सामान को आप पहचानते हो क्या। ..
अब ठाकुरजी की सांसें  थम गई थी  .... उन्हें खबर लग गई थी की ये सामान सजल का ही है। लिफाफा खोलते ही घडी निकली जो सजल की ही थी ,,,बस अब क्या था रोआ पीटी मच गई थी ,,,कुसुम तो वही बैठ गई जहा खड़ी थी उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई थी ,,खत निकालते हुए पुलिस ने बोला ये खत भी मिला है उसकी जेब से। .. खत  ठाकुरजी को लिखा गया था इसलिए उन्हें ही पकड़ा दिया गया ,,


बाबूजी,
             मैं आपसे एक बात बोलना चाहता हूँ की मैं आपके  सपने को पूरा कर चुका हूँ,,,,आज से आपके शिष्य को दुनिया सलाम ठोकेगी और जब जब ये सलाम मझे मिलेगा मझे  याद सिर्फ आपकी ही आएगी की  आपकी वजह से हूँ ,,मैं आपकी इज़्ज़त करता हूँ पर आज मैं आपसे एक बात बोलना  चाहता हूँ ,,,मैं आपकी बेटी से बहुत प्यार करता हूँ ,,पर मैं  आपकी इजाज़त के बिना उसे  ये बात नहीं बताऊंगा,,,, मेरे लिए अपना  प्यार  नहीं बल्कि आपकी प्रतिष्ठा  ज़्यादा ज़रूरी है। अगर ये खत पढ़कर  आपको लगे  आपकी बेटी के लिए हूँ तो बस एक बार ज़ोर से मझे पुकारियेगा ,,,मैं दौड़कर आजाऊंगा।
          राधे राधे। 


खत ख़त्म हुआ और ठाकुरजी जी की लाल आँखें अब सिर्फ सजल को देखना चाहती थी ,,और ज़ोर से चिल्लाए की काश तू वापिस आजाए ,,तू तो मेरा बेटा है मुझे तो तुझसे साफ़ दिल और कोई मिलेगा भी नहीं। .. कुसुम की तरफ देखा और बस आंसुओं में टूट गए ,,,

उधर  आवाज़ आई की मुझे  पता तो था की आप सब मुझसे  इतना प्यार करते हैं पर इतना ये नहीं पता था ,,कुसुम को आज फिर वही आवाज़ सुनाई दी जो उसकी धड़कन हर बार बड़ा देती है ,,क्या ये सजल बोला। उधर अँधेरे में खड़ा सजल रौशनी में आ  गया  ..सजल को देखते ही सबके भाव बदल गए पीड़ा  के जो बादल  थे वो साफ़ हो गए। .वह सच में  सजल खड़ा था इतना माहौल बिगड़ गया था की किसीने ध्यान ही नहीं दिया। .
ठाकुरजी आंसुओं से लतपत  और सजल की तरफ दौड़ के गए और उसे  गले लगा लिया ,उनके मुंह से सिर्फ यही निकल  की एक लड़का खो चुका दूसरे को  खोने की ताक़त नहीं मझमे। .सजल की आंखें इस प्यार और  अपनेपन को देखकर लाल हो गई थी उसे उम्मीद  ही नहीं थी की वो इतना ज़रूरी था ठाकुरजी के लिए ,,, गले मिलते हुए जब उसने कुसुम की तरफ देखा तो वो नज़ारा ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाएगा। .कुसुम  एक पल भी अपनी आँखें नहीं झपका रही थी प्यार वाली नज़र ने  तो जैसे पागल करदिया था ,उसे नहीं पता था की कुसुम भी उससे इतना प्यार करती है। ...
सब नाटक रचा था सजल ने वो पुलिस वाला और कोई नही गांव का  लड़का था जिसकी पुलिस में कल ही भर्ती हुई थी। ..सजल को अंदाज़ा नहीं  था  की उसकी और कुसुम की बात जानकर कैसे ठाकुरजी को सामना करूँगा तो उसने ठान लिए था की मंज़ूर होगा तो सामने आऊंगा वरना वहाँ  से हमेशा के लिए चला  जाएगा  इसलिए उसने ये सब किआ ,,,,,
 कुसुम ने ये सुनने के बाद सजल को एक खींच कर गाल पर मारा  और रोते रोते गले से लगा लिया ,,,अगली बार मरने की बात कही तो सच में इन हाथों से मारदूँगी ,,और कसके गले लगा लिया ,,,सब हँसने लगे और ठाकुरजी खाने का इंतेज़ाम देखने के लिए बहार चले गए ,,,


समाप्त 




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